
रामनवमी पर ऑपरेशन विजय सुप्रीमों शिवमंगल सिंह ने अखंड पाठ, हवन यज्ञ के साथ किए भंडारे, समाज को दिया अहम संदेश
- संकल्पित होकर दर्जनों त्याग करने वाले ऑपरेशन विजय सुप्रीमों शिवमंगल सिंह ने रामनवमी में एक और दोपहर के भोजन का किया त्याग
- संकल्पित होकर अपने अंदर के अवगुण या बुराइयों के त्याग से स्वयं को शक्ति व समाज को मिलता लाभ, इसी के तहत किए दर्जनों त्याग- शिवमंगल सिंह
- ऑपरेशन विजय सुप्रीमो ने दोपहर के भोजन का त्याग करते हुए कहा इससे जहां जरूरबंदों को मिलेगा लाभ वही समाज को मिलेगी प्रेरणा
कानपुर (रीजनल एक्सप्रेस)। समाज में व्याप्त सभी सामाजिक बुराइयों को जड़ से मिटाने हेतु अपनी विशेष कार्ययोजना पर कार्य कर रहे “ऑपरेशन- विजय” (बुराइयों के खिलाफ जंग) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवमंगल सिंह (आई.पी.) ने अब तक सभी प्रकार के नशा से दूर, किसी निर्दोष को किसी भी तरह की पीड़ा न पहुंचाने, सर्व समाज की मां, बहन, बेटी को अपनी मां, बहन, बेटी की तरह से ही देखने व उनके लिए काम करने के साथ-साथ निस्वार्थ भाव से समाज के पीड़ित व न्याय से वंचितों की समस्याओं पर काम करने जैसे दर्जनों संकल्पित होकर त्याग व प्रण किए हैं, उसी क्रम में आज नवरात्रि रामनवमी के पावन एवं ऐतिहासिक पर्व पर कानपुर स्थित ऑपरेशन विजय मुख्य कार्यालय में अपने द्वारा स्थापित किए गए हनुमान जी व मां दुर्गा मंदिर में अखंड पाठ, हवन यज्ञ कर भंडारा किया।
हवन यज्ञ समाप्त के बाद ऑपरेशन विजय सुप्रीमो शिवमंगल सिंह ने हवन यज्ञ में शामिल ऑपरेशन विजय पदाधिकारियों एवं भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि धार्मिक ऐतिहासिक शुभ दिनों में अखंड पाठ हवन यज्ञ व भंडारे करने का हमारा मुख्य उद्देश्य समाज में व्याप्त सामाजिक बुराइयों को जड़ से मिटाकर सर्व समाज के चेहरे पर स्थाई मुस्कान लाने वाले अभियान “ऑपरेशन- विजय” (बुराइयों के खिलाफ जंग) को सफल व शक्तिशाली बनाना है।
इसी के साथ उन्होंने अपनी 58 साल की उम्र में अपने-अपने परिवार व समाज हित में दर्जनों किए त्याग व प्रण के साथ एक और त्याग अपनी बची जिंदगी में दोपहर का भोजन न करने का संकल्प किया, जिसके लिए उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा दोपहर का अपनी बची पुरी जिंदगी भोजन त्याग से जहां समाज के जरूरबंदों को लाभ मिलेगा, वहीं समाज को प्रेरणा मिलने के साथ-साथ हमें और भी मजबूती से समाज के लिए काम करने का अवसर मिलेगा।
अंत में उन्होंने समस्त देशवासियों को संकल्पित होकर मनुष्य के अंदर व्याप्त अवगुण व बुराइयों के किए जाने वाले त्याग के लाभ बताते हुए कहा कि इससे जहां स्वयं व उसके परिवार को शक्ति मिलती है, वहीं अवगुण व सामाजिक बुराइयों का त्याग करने से समाज को भी भारी लाभ होता है।