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इस नवरात्र चलो कसम ये खायें, बेटी बचायें और बेटी पढ़ायें : शालिनी मिश्रा

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इस नवरात्र चलो कसम ये खायें

बेटी बचायें और बेटी पढ़ायें।।

 

बेटियों के जन्म पे खुशियाँ मनायें।

बेटों से नहीं ये कम सबको बतायें।

रूढियों को तोड़ नई रीति ये चलायें।

बेटी बचायें और बेटी पढ़ायें।।

 

इस नवरात्र चलो कसम ये खायें।

बेटी बचायें और बेटी पढ़ायें।।

 

बेटियाँ पराया धन, इन्हें क्यों पढ़ायें?

ऐसा खयाल कभी मन में न लायें।।

बेटी को पढ़ाके दोनों कुल महकायें।

बेटी बचायें और बेटी पढ़ायें।।

 

इस नवरात्र चलो कसम ये खायें।

बेटी बचायें और बेटी पढ़ायें।।

 

बेटियाँ चलायें घर, देश भी चलायें।

कल्पना, सुनीता बन, गगन में जायें।।

शिक्षा और चिकित्सा में भी ,नाम ये कमायें।

बेटी बचायें और बेटी पढ़ायें।

 

इस नवरात्र चलो कसम ये खायें।

बेटी बचायें और बेटी पढ़ायें।।

 

लेखनी जो कर गहें, वेद रच जायें।

असि कर धरें जो, इतिहास बन जाये।

शक्ति,शौर्य सेवा भाव, इनमें समाये।

बेटी बचाएं और बेटी पढ़ायें।।

 

इस नवरात्र चलो कसम ये खायें।

बेटी बचायें और बेटी पढ़ायें।।

 

घर-घर ये पुनीत अलख जगायें।

खुद लें शपथ और सबको दिलायें।।

मूल नवरात्र का ये सबको बतायें।

बेटी बचायें और बेटी पढ़ायें।।

 

इस नवरात्र चलो कसम ये खायें

बेटी बचायें और बेटी पढ़ायें।।

 

स्वरचित——

-शालिनी मिश्रा (प्रधान शिक्षिका),बीघापुर जनपद-उन्नाव

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