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आईएनएएस 325 को भारतीय नौसेना में किया शामिल

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नई दिल्ली (रीजनल एक्सप्रेस)। भारतीय नौसेना वायु स्क्वाड्रन (जहाजों का बेड़ा) (आईएनएएस) 325 को 31 मई, 2022 को अंडमान और निकोबार कमान (एएनसी) के पोर्ट ब्लेयर स्थित आईएनएस उत्क्रोश में आयोजित एक प्रभावशाली समारोह के दौरान भारतीय नौसेना में शामिल की गई। यह स्वदेश निर्मित एएलएच एमके III विमान का परिचालन करती है। इस अवसर पर अंडमान और निकोबार के कमांडर-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह मुख्य अतिथि थे। नई शामिल की गई इस इकाई ने 2022 की शुरुआत में पहली बार अंडमान द्वीप समूह के ऊपर उड़ान भरी थी और इसे आधिकारिक तौर पर 28 जनवरी, 2022 को शामिल किया गया था। यह भारतीय नौसेना में शामिल की गई दूसरी एएलएच एमके III स्क्वाड्रन है।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह ने एक सभा को संबोधित किया और आईएनएस उत्क्रोश को बधाई दी। उन्होंने हालिया राष्ट्रीय संकट के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों की भूमिका पर जोर दिया और भारत व विदेशों में राहत कार्यों सहित हाल के वर्षों में एएलएच की उत्कृष्ट सेवा को रेखांकित किया।

उन्होंने हवाई स्टेशन के प्रयासों की भी सराहना की और कहा कि विशिष्ट सैन्य उपलब्धि को देखना वास्तव में एक सम्मान और सौभाग्य की बात है। एएनसी में एएलएच एमके III के जुड़ने से इसकी निगरानी और लंबी दूरी की एसएआर क्षमताओं में काफी बढ़ोतरी होगी। यह विमान न केवल क्षेत्र में सैन्य क्षमताओं को मजबूत करेगा, बल्कि किसी भी समय स्थानीय प्रशासन को सहायता प्रदान करने में सक्षम होगा।

अत्याधुनिक मल्टी रोल (कई तरह की भूमिका) हेलीकॉप्टर का निर्माण और विकास बेंगलुरू स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) ने किया है। यह आत्मानिर्भर भारत के मिशन का प्रतीक है और भारत की रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ावा देने के लिए इस क्षेत्र में हमारे समुद्री हितों की रक्षा करने में सहायता करता है।

इस स्क्वाड्रन का नाम शिकार करने वाली निशाचर पक्षी, ‘ईगल आउल (चील उल्लू)’ से लिया गया है। चील के अवलोकन व निगरानी की गहरी दृष्टि सेंसर का प्रतीक है और हेलीकॉप्टर के उन्नत एवियोनिक्स (वैमानिकी) उल्लू के निशाचर कौशल की तरह हैं, जो विमान की रात्रि दृष्टि क्षमताओं को दर्शाता है।

ये हेलीकॉप्टर नवीनतम पीढ़ी के एवियोनिक्स और रोल इक्विपमेंट के साथ आते हैं। वे मुख्य रूप से लंबी दूरी की एसएआर और समुद्री टोह की भूमिका में उपयोग के लिए हैं। इसके अलावा इनका उपयोग द्वीपों में मानवीय सहायता और आपदा राहत के लिए भी किया जा सकता है। इस हेलीकॉप्टर में एक निगरानी रडार, ईओ/एफएलआईआर, होमर, उच्च-तीव्रता वाली सर्चलाइट और एयर एम्बुलेंस भूमिका के लिए एक हटाने योग्य चिकित्सा गहन देखभाल इकाई है।

एएलएच स्क्वाड्रन को सेवा में शामिल करना विशाल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सुदूर क्षेत्रों में हमारे द्वीपवासियों और प्रशासन की सहायता करने की क्षमता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह बहु-उपयोगी विमान इस क्षेत्र में भारतीय सशस्त्र बलों की सैन्य शक्ति को प्रमुखता से बढ़ाने का काम करेगा।

इस स्क्वाड्रन की कमान कमांडर अविनाश कुमार शर्मा के पास है, जो एक अत्यधिक कुशल और अनुभवी पायलट हैं। वे चेतक, यूएच -3 एच और एएलएच हेलीकॉप्टरों पर 2300 घंटे से अधिक की उड़ान भर चुके हैं। उन्होंने 17 वर्षों से अधिक की विशिष्ट सेवा प्रदान की है।

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