
भगवान से ना मांगे बल्कि भगवान से भगवान को ही मांगे : अनूप महाराज
हरदोई(रीजनल एक्स्प्रेस)। जिला हरदोई के ग्राम लोनार में इन दिनों तीर्थधाम जैसा नजारा देखने को मिला। यहां श्रीमद्भागवत कथा सुनने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहें हैं, कथा के दौरान भक्ति की गूंज पूरे इलाके में गूंज रही है असलापुर धाम से पधारें सुप्रसिद्ध कथावाचक अनूप ठाकुर महाराज के श्री मुख से भागवत कथा सुन श्रद्धालु धन्य हो रहें हैं व्यास ने तृतीय दिवस की कथा को सुनाते हुए कहा कि आज कल लोग भक्ति इसलिए ज्यादा करते कि भगवान से मांगने के लिए बल्कि भगवान से ना मांगे भगवान को ही मांगों कि मेरा आत्म कल्याण हो जायें तो किसी वस्तु की कमी नहीं हो सकती है, आज कल गुरु जी अपने आपको भी मंदिरों में सजवाने में मस्त हैं, गुरु का मतलब जो गोविंद से मिला दें गुरु का मतलब ये नहीं जो अपने आपको ही मंदिर में सजा दें, गुरूर साक्षात परब्रह्म हैं जो गुरु हमें गोविंद की राह पर चलने की प्रेरणा दें वही गुरु श्रेष्ठ है
अनूप ठाकुर ने कहा कि राजा परीक्षित गंगा के तट पर पहुंचे। वहां जितने भी संत महात्मा थे सब से पूछा की जिस की मृत्यु सातवें दिन है उस जीव को क्या करना चाहिए। किसी ने कहा गंगा स्नान करो, किसी ने कहा गंगा के तट पर आ गए हो इससे अच्छा क्या होगा, सब अलग अलग उपाय बता रहा है। तभी वहां भगवान शुकदेव जी महाराज पधारे। जब राजा परीक्षित भगवान शुकदेव जी महाराज के सामने पहुंचे तो उनको राजा ने शाष्टांग प्रणाम किया। शाष्टांग प्रणाम करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। शुकदेव जी महाराज जो सबसे बड़े वैरागी व चूड़ामणि हैं उनसे राजा परीक्षित जी ने प्रश्न किया कि हे गुरुदेव जो व्यक्ति सातवें दिन मरने वाला हो उस व्यक्ति को क्या करना चाहिए? किसका स्मरण करना चाहिए और किसका परित्याग करना चाहिए? कृपा कर मुझे बताइये…अब शुकदेव जी ने मुस्कुराते हुए परीक्षित से कहा की हे राजन ये प्रश्न केवल आपके कल्याण का ही नहीं अपितु संसार के कल्याण का प्रश्न है। तो राजन जिस व्यक्ति की मृत्यु सातवें दिन है उसको श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए तो उसका कल्याण निश्चित है। जो गोविंद दे दें वहीं स्वीकार कर लो। यही श्रेष्ठ है। व्यास ने कहा श्रीमद भागवत में 18000 श्लोक, 12 स्कन्द और 335 अध्याय हैं जो जीव सात दिन में सम्पूर्ण भागवत का श्रवण करेगा वो अवश्य ही मनोवांछित फल की प्राप्ति करता है। राजा परीक्षित ने शुकदेव जी से प्रार्थना की हे गुरुवर आप ही मुझे श्रीमद्भागवत का ज्ञान प्रदान करें और मेरे कल्याण का मार्ग प्रशस्थ करें! इसी के साथ अनूप महाराज ने सृष्टि वर्णन सती चरित्र ध्रुव चरित्र की कथा को विस्तार पूर्वक सुनाया यजमान सोनू सिंह राठौड़ सपत्नीक, आयोजक मोनू सिंह राठौड़, बलराम सिंह राठौड़, श्रीकृष्ण सिंह राठौड़, शेखर सिंह, आलोक अवस्थी, सूरज त्रिवेदी, नन्हे श्रीवास्तव समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहें।