
भागवत कथा सुनने से नष्ट होता हैं अज्ञानरुपी अंधकार : अनूप महाराज
सीतापुर(रीजनल एक्स्प्रेस)। जिला सीतापुर के तीर्थ नैमिषारण्य में चल रही श्रीमद्भागवत के तृतीय दिवस में परम पूज्य सुप्रसिद्ध कथाव्यास अनूप ठाकुर महाराज ने कथा को सुनाते हुए कहा कि तृष्णा व्यक्ति के प्रभु से मिलन में बहुत बड़ी बाधा है। धन की तृष्णा, पुत्र की तृष्णा में पद प्रतिष्ठा की तृष्णा में व्यक्ति ईश्वर को छोड़कर माया में भटकते हुए अपना जीवन ही गंवा देता है।
श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के दौरान अनूप महाराज ने कहा कि अर्जुन रिश्ते में श्रीकृष्ण के बहनोई थे। वह जब तक प्रभु को सखा-सखा रटते रहे तब तक ज्ञान से विरक्त थे लेकिन जब उन्होंने खुद को भगवान का शिष्य मानकर व्यवहार किया तत्क्षण उन्हें प्रभु की कृपा से ज्ञान की प्राप्ति हुई! कथा व्यास ठाकुर महाराज ने कहा कि बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहें हैं वह आपका अपने ईष्ट या गुरूदेव का अपमान तो नहीं है यदि ऐसा है तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए चाहें वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों न हो कथा के दौरान सती चरित्र का प्रसंग सुनाते हुए व्यास जी ने कहा कि भगवान शिव की बात ना मानने पर सती को पिता के घर जानें से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाहा होना पड़ा।
महाराज जी ने राजा उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा सुनाते हुए समझाया कि धुव की सौतेली मां सुरुचि द्वारा अपमानित होने पर भी उनकी मां सुनिति ने धैर्य नहीं खोया, जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य व संयम की नितांत आवश्यता होती है। कहा कि भक्ति के लिए कोई उम्र की बाधा नहीं होती। बचपन कच्ची मिट्टी की तरह होता है। जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। अनूप महाराज ने कहा कि परम सत्ता में विश्वास रखते हुए हमेशा सतकर्म करते रहना चाहिए। सतसंग हमे भलाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है कहा कि जब तक जीव माता के गर्भ में रहता है, तब तक बाहर निकलने के लिए छटपटाता रहता है। ईश्वर से अनेक प्रकार के वादे भी करता है, मगर जन्म लेने के पश्चात सांसारिक मोह माया में फंस कर ईश्वर से किए गए वादों को भूल जाता है। इसके परिणाम स्वरूप 84 लाख योनी भोगनी पड़ती है ध्रुव की साधना, सत्कर्म व ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा के परिणाम स्वरूप ही उन्हें बैकुंठ लोक प्राप्त हुआ। जो अंधकार रूपी अज्ञान हम आप में विराजमान हैं वह भगवद् चरित्र सुनकर नष्ट हो जाता है आयोजक शिक्षा सुधार समिति यजमान अश्विनी कुमार सिंह, सावित्री सिंह, कथा प्रबंधक रामबीर सिंह, उपमंत्री शान्ति देव त्रिपाठी, श्री भृगु जी महाराज, उपाध्यक्ष शिवराज सिंह मंत्री रामदास पाठक, विष्णु कुमार सिंह, जगदीश प्रसाद मिश्र, संत महात्मा समेत बड़ी संख्या श्रद्धालु मौजूद रहे।